आधी रात में मेरी कँपकँपी सात रजाइयों में भी न रुकी | हिंदी कविता Video

"आधी रात में मेरी कँपकँपी सात रजाइयों में भी न रुकी सतलुज मेरे बिस्तर पर उतर आया सातों रजाइयाँ गीली बुखार एक सौ छह, एक सौ सात हर साँस पसीना-पसीना युग को पलटने में लगे लोग बुख़ार से नहीं मरते ©Kavisthaan "

आधी रात में मेरी कँपकँपी सात रजाइयों में भी न रुकी सतलुज मेरे बिस्तर पर उतर आया सातों रजाइयाँ गीली बुखार एक सौ छह, एक सौ सात हर साँस पसीना-पसीना युग को पलटने में लगे लोग बुख़ार से नहीं मरते ©Kavisthaan

आधी रात

#boatclub

People who shared love close

More like this

Trending Topic