आंखे बयाँ करती है एहसास को, सच को ,झूठ को,ख्वाब को | हिंदी कविता

"आंखे बयाँ करती है एहसास को, सच को ,झूठ को,ख्वाब को, दिल मै उमड़ते हजारो जज्बात को, किसी की खामोशी मे उसकी आवाज को, आंखे बयाँ करती है एहसास को ।। हमारी हा मे ना ओर ना मे हा को, हमारे जवाबो से निकले हमारे सवाल को, हमारी मुस्कराहट के पीछे छुपे मन उदास को, आंखे बयाँ करती है एहसास को ।। --Nikunj Talwar"

 आंखे बयाँ करती है एहसास को,
सच को ,झूठ को,ख्वाब को,
दिल मै उमड़ते हजारो जज्बात को,
किसी की खामोशी मे उसकी आवाज को,
आंखे बयाँ करती है एहसास को ।।
हमारी हा मे ना ओर ना मे हा को,
हमारे जवाबो से निकले हमारे सवाल को,
हमारी मुस्कराहट के पीछे छुपे मन उदास को,
आंखे बयाँ करती है एहसास को ।।

--Nikunj Talwar

आंखे बयाँ करती है एहसास को, सच को ,झूठ को,ख्वाब को, दिल मै उमड़ते हजारो जज्बात को, किसी की खामोशी मे उसकी आवाज को, आंखे बयाँ करती है एहसास को ।। हमारी हा मे ना ओर ना मे हा को, हमारे जवाबो से निकले हमारे सवाल को, हमारी मुस्कराहट के पीछे छुपे मन उदास को, आंखे बयाँ करती है एहसास को ।। --Nikunj Talwar

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