आज फिर एक दस्तक दिल मे हुई हैं , दस्तक, दिल को प | हिंदी Poetry

"आज फिर एक दस्तक दिल मे हुई हैं , दस्तक, दिल को पीटती हुई , मानो डाट रही हो , बौखलाई सी , झुंझलाई हुई अंदर आने को बेचैन , "खोलो कोई तो खोलो.. " पुकारती हुई, चीखती हुई , अंधेरे से डरती हुई , कहती "मुझे अंदर आने दो मैंने ही बनाया है इसे .. " पर कोई खोलने को राज़ी नहीं सब बहरे हो गए है .. इस तरह एक और माँ ने , आज दरवाज़े के बाहर रात गुजारी हैं, दिल के बाहर ज़िन्दगी गुज़ारी है .. "

 आज फिर एक दस्तक 
दिल मे हुई हैं , 
दस्तक, दिल को पीटती हुई , 
मानो डाट रही हो , 
बौखलाई सी , झुंझलाई हुई 
अंदर आने को बेचैन , 
"खोलो कोई तो खोलो.. "
पुकारती हुई, चीखती हुई , 
अंधेरे से डरती हुई , 
कहती "मुझे अंदर आने दो 
मैंने ही बनाया है इसे .. " 
पर कोई खोलने को राज़ी नहीं 
सब बहरे हो गए है .. 
इस तरह एक और माँ ने , 
आज दरवाज़े के बाहर रात गुजारी हैं, 
दिल के बाहर ज़िन्दगी गुज़ारी है ..

आज फिर एक दस्तक दिल मे हुई हैं , दस्तक, दिल को पीटती हुई , मानो डाट रही हो , बौखलाई सी , झुंझलाई हुई अंदर आने को बेचैन , "खोलो कोई तो खोलो.. " पुकारती हुई, चीखती हुई , अंधेरे से डरती हुई , कहती "मुझे अंदर आने दो मैंने ही बनाया है इसे .. " पर कोई खोलने को राज़ी नहीं सब बहरे हो गए है .. इस तरह एक और माँ ने , आज दरवाज़े के बाहर रात गुजारी हैं, दिल के बाहर ज़िन्दगी गुज़ारी है ..

#MothersDay #Nojoto #RESPECT #Reality आज फिर एक दस्तक
दिल मे हुई हैं ,
दस्तक, दिल को पीटती हुई ,
मानो डाट रही हो ,
बौखलाई सी , झुंझलाई हुई
अंदर आने को बेचैन ,
"खोलो कोई तो खोलो.. "
पुकारती हुई, चीखती हुई ,

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