धरती कहे!
मैं धरती हूं
मैं सब कुछ देने को तैयार हूं
पर तुम क्या देते हो मुझे
मुझे तुम्हारा धन नहीं चाहिए
तुम प्राणी हो स्वार्थी
बस लेना ही जानते हो
हे! मनुज संभल जाओ
इससे पहले समय रूठ जाए
मुझे चाहिए बस
धानी चुनर, बेल बूटों से सजी
जहां पंछी चहके , तितलियां मंडराए
वन हो उपवन, मधुवन हो !
मुझे तुम बीज देदो
मैं तुम्हे वृक्ष दूंगी, जल दूंगी
फल दूंगी......सब दूंगी
जो तुम्हें चाहिए
©pratibha
#WorldEnvironmentDay