#सफनामा दोस्तों बहुत पुराना वाक्या याद आ गया है स

"#सफनामा दोस्तों बहुत पुराना वाक्या याद आ गया है सफर के दौरान एक अनुभव ये हुआ था कि मैं और मेरा दोस्त निमंत्रण देने के (क़रीब क़रीब 50 किलोमीटर) लिए जा रहे थे। हम दोनों एक स्कूटर से जा रहे थे अचानक टायर पंचर हो गया। शाम होने को थी। पता ही होगा स्कूटर में एक स्टीपनी भी रहता है। हम जल्दी से टायर की हवा निकाल कर दूसरा पहीया लगाने लगे और कमियाब भी हुए।हम दोनों बहुत खुश थे। जाने की तैयारी करने लगे और जैसे ही स्कूटर पर बैठे हम लोगों का दिमाग एकदम सन्न रह गया। पंचर हुआ था पीछे का टायर और हम दोनों ने मिलकर अगला पहिया बदल दिया। दोनों एक दूसरे का मुंह देख रहे थे कोई किसी से कुछ भी नहीं कह रहा था तभी मेरे दोस्त ने स्कूटर का हैंडल पकड़ा आगे की ओर बढ़ाने लगा और मैं धक्का देते देते 17 किलोमीटर जाने के बाद। अब आगे क्या लिखूं आप सब बहुत समझदार हो। इतना ही कहना चाहूंगा कहीं भी जा रहे हो जल्दी में हो अच्छी बात है मगर मगर मगर हड़बड़ी मत करना। क्योंकि हर बड़ी करने से गड़बड़ी का निमंत्रण होता है तो कोई भी काम हड़बड़ी से नहीं दिल और दिमाग से कीजिए।"

 #सफनामा 
दोस्तों बहुत पुराना वाक्या याद आ गया है सफर के दौरान एक अनुभव ये हुआ था कि मैं और मेरा दोस्त निमंत्रण देने के  (क़रीब क़रीब 50 किलोमीटर) लिए जा रहे थे। हम दोनों एक स्कूटर से जा रहे थे अचानक टायर पंचर हो गया। शाम  होने को थी। पता ही होगा स्कूटर में एक स्टीपनी भी रहता है। हम जल्दी से टायर की हवा निकाल कर दूसरा पहीया लगाने लगे और कमियाब भी हुए।हम दोनों बहुत खुश थे। जाने की तैयारी करने लगे और जैसे ही स्कूटर पर बैठे हम लोगों का दिमाग एकदम सन्न रह गया। पंचर हुआ था पीछे का टायर और हम दोनों ने मिलकर अगला पहिया बदल दिया। दोनों एक दूसरे का मुंह देख रहे थे कोई किसी से कुछ भी नहीं कह रहा था तभी मेरे दोस्त ने स्कूटर का हैंडल पकड़ा आगे की ओर बढ़ाने लगा और मैं धक्का देते देते 17 किलोमीटर जाने के बाद। अब आगे क्या लिखूं आप सब बहुत समझदार हो।
इतना ही कहना चाहूंगा कहीं भी जा रहे हो जल्दी में हो अच्छी बात है मगर मगर मगर हड़बड़ी मत करना। क्योंकि हर बड़ी करने से गड़बड़ी का निमंत्रण होता है तो कोई भी काम हड़बड़ी से नहीं दिल और दिमाग से कीजिए।

#सफनामा दोस्तों बहुत पुराना वाक्या याद आ गया है सफर के दौरान एक अनुभव ये हुआ था कि मैं और मेरा दोस्त निमंत्रण देने के (क़रीब क़रीब 50 किलोमीटर) लिए जा रहे थे। हम दोनों एक स्कूटर से जा रहे थे अचानक टायर पंचर हो गया। शाम होने को थी। पता ही होगा स्कूटर में एक स्टीपनी भी रहता है। हम जल्दी से टायर की हवा निकाल कर दूसरा पहीया लगाने लगे और कमियाब भी हुए।हम दोनों बहुत खुश थे। जाने की तैयारी करने लगे और जैसे ही स्कूटर पर बैठे हम लोगों का दिमाग एकदम सन्न रह गया। पंचर हुआ था पीछे का टायर और हम दोनों ने मिलकर अगला पहिया बदल दिया। दोनों एक दूसरे का मुंह देख रहे थे कोई किसी से कुछ भी नहीं कह रहा था तभी मेरे दोस्त ने स्कूटर का हैंडल पकड़ा आगे की ओर बढ़ाने लगा और मैं धक्का देते देते 17 किलोमीटर जाने के बाद। अब आगे क्या लिखूं आप सब बहुत समझदार हो। इतना ही कहना चाहूंगा कहीं भी जा रहे हो जल्दी में हो अच्छी बात है मगर मगर मगर हड़बड़ी मत करना। क्योंकि हर बड़ी करने से गड़बड़ी का निमंत्रण होता है तो कोई भी काम हड़बड़ी से नहीं दिल और दिमाग से कीजिए।

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