यहां जिंदा दिल की कोई परवाह नहीं गालिब मजार बनवा द | हिंदी कविता

"यहां जिंदा दिल की कोई परवाह नहीं गालिब मजार बनवा दो मेला लगा करें गे ©aazam farouqui"

 यहां जिंदा दिल की कोई परवाह नहीं गालिब मजार बनवा दो मेला लगा करें गे

©aazam farouqui

यहां जिंदा दिल की कोई परवाह नहीं गालिब मजार बनवा दो मेला लगा करें गे ©aazam farouqui

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