एक दो तीन चार,
दिखे तेरी आंखों में प्यार।
पूजा करे तेरी सारा संसार,
गले में तेरे मोतियों का हार।
एक दो तीन चार,
खुशियों भरा है त्योहार।
जो भी आता तेरे द्वार
अन्न-धन से भर देती भंडार।
एक दो तीन चार,
ममता है तुममें अपार।
चाहे नारी हो या नार,
तोड़ देती नफरत की दीवार।
एक दो तीन चार,
करती शत्रुओं का संहार।
तू चाहे तो जान डाल दे चाहे हो पत्थर,
तू चाहे तो अमीर को भी बना दे दरिद्र।
©Shishpal Chauhan
#नवरात्रि "एक दो तीन चार"