क्या करू साहब लिखना नही आता किसी तरह लिख लू तो सा | हिंदी शायरी

"क्या करू साहब लिखना नही आता किसी तरह लिख लू तो साजना नही आता टूटता रहता है अंदर ही अंदर कुछ तो क्यों कोई बताने बाहर से नही आता ©Ravindar Kumar Tesh"

 क्या करू साहब लिखना नही आता 
किसी तरह लिख लू
तो साजना नही आता
टूटता रहता है अंदर ही अंदर कुछ तो
क्यों कोई बताने बाहर से
नही आता

©Ravindar Kumar Tesh

क्या करू साहब लिखना नही आता किसी तरह लिख लू तो साजना नही आता टूटता रहता है अंदर ही अंदर कुछ तो क्यों कोई बताने बाहर से नही आता ©Ravindar Kumar Tesh

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