मुबारका....
तू वो किताब है मेरी फलसफा - ए-ज़िन्दगी की
जिसका हर पन्ना तेरी इक नई ज़िक़्र किया करे...
होकर हाफ़िज़ तेरे हर इक ज़र्रों का,
फिर भी तू रोज़ नई आयतों सी
मिला करे ...
लेकर इल्म तेरा ,
बनाकर खुद को तुझसा!!!!
हर फ़िक्र में, हर सोच में बस, तेरा ही अक़्स मुझसे मिला करे..
©mchokla
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