केकरा का हम बतायी बाबू जी
कौनी जगहा अपन रपट लिखवायी
हमका बचपन के दिन बहुत याद आवत है
हम याद करके खावत-खावत रुक जावत हैं
कौन हमरे उई दिन खोजवायी बाबू जी
केकरा हम जा के हम बतायी
हमका हमरे बचपन वाले पिड़वा बुलावत
हम ओसे मिलन अकेले ही जावत है
बचपना मा तो सगरो दोस्त आवत रहे बाबू जी
अब कौउनो नाही आवत है
पहले गलियन मा हम दोस्तों के संग दोड़त रहे
अब कौन नज़र नाही आवत है
हम बहुत बड़का परिशानी मा है बाबू जी
हम केकरा से अपन बचपन खुजवायीं
सब हमका भगा देत हैं
थाना चौकी नाही सुनत हमार
हम केकरे पांजर रपट लिखायी बाबू जी
केकरे पांजर रपट लिखवाई...
©Shashank Singh Kushwaha
बचपन की रिपोर्ट...
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