खुद में ख़ुद को ढूंढने में चुभन सी लगती है मैं उसे | हिंदी Poetry

"खुद में ख़ुद को ढूंढने में चुभन सी लगती है मैं उसे रोक तो नहीं पाया ये दर्द काटें सा चुभता है ©Chandrashekhar joshi"

 खुद में ख़ुद को ढूंढने में चुभन सी लगती है
मैं उसे रोक तो नहीं पाया ये दर्द
काटें सा चुभता है

©Chandrashekhar joshi

खुद में ख़ुद को ढूंढने में चुभन सी लगती है मैं उसे रोक तो नहीं पाया ये दर्द काटें सा चुभता है ©Chandrashekhar joshi

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