White हुआ है आज खिलवाड़ भावनाओं से मेरी
हुई है तार तार उमंग मेरी
न चाहते हुए भी मुझे माननी पड़ी बात उसकी
उसके साथ बिताई थी जो कल को रात
नही था वो कोई कमरा या कोई उसकी बाहों का हार
उसने तो किया अपने तानों से मेरी भावनाओं को तार तार
हुआ है जब जब भावनाओं का मर्दन
तब तब होता है अंतर्मन में द्वंद
और जागता है स्वाभिमान और करता है विद्रोह हो रहे इस मर्दन का
तब तब मिला है सुकूं रूह को मेरी
और बढ़ा है एक कदम आगे मन मेरे पर उसकी तरफ नही
अपनी मंजिल की तरफ और सपनो की भरा है उड़ान
एक नए मंथन के साथ सवारता रूह को मेरी
Aditi jai
©aditi the writer
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