ख़्वाब में तुम नज़र आने लगे हो,
लगता है मुझे चाहने लगे हो..!
तस्वीरों के रंग कुछ यूँ,
रंगने लगे हैं मानो दुनिया मेरी..!
किताबों के पन्ने ग़ुलाबी जैसे,
इश्क़ की बारिश में नहाने लगे हो..!
एहसासों के एकतरफ़ा पौधे,
प्रेम का प्रकाश संश्लेषण पाने लगे हों..!
तुम्हारे दिल तक पहुँचने में,
मुझे जैसे कई ज़माने लगे हों..!
©SHIVA KANT(Shayar)
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