आज मेरे मन में बूंदों की इक कमी सी है पर पलकों की | हिंदी कविता

"आज मेरे मन में बूंदों की इक कमी सी है पर पलकों की छत पर अश्रुओं की नमी सी है हर भाव को मिटाने सैलाब बढ़ चुके हैं फिर भी दिल पटल पर धूल इक जमी सी है मेघों की गर्जना में मन का शिशु मौन है हृदय कोश में अविरल लड़खड़ाता कौन है ©KHAJAN TIWARI"

 आज मेरे मन में
बूंदों की इक कमी सी है
पर पलकों की छत पर
अश्रुओं की नमी सी है
हर भाव को मिटाने
सैलाब बढ़ चुके हैं
फिर भी दिल पटल पर
धूल इक जमी सी है
मेघों की गर्जना में
मन का शिशु मौन है
हृदय कोश में अविरल
लड़खड़ाता कौन है

©KHAJAN TIWARI

आज मेरे मन में बूंदों की इक कमी सी है पर पलकों की छत पर अश्रुओं की नमी सी है हर भाव को मिटाने सैलाब बढ़ चुके हैं फिर भी दिल पटल पर धूल इक जमी सी है मेघों की गर्जना में मन का शिशु मौन है हृदय कोश में अविरल लड़खड़ाता कौन है ©KHAJAN TIWARI

#OneSeason

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