जो जगह ना दे पाए घोंसलों को वो शजर नहीं होता है,

"जो जगह ना दे पाए घोंसलों को वो शजर नहीं होता है, ज़रा से तूफानों में टूट जाए जो वो पर नहीं होता है। यूं ही नहीं मिलता सुकून का बसेरा हर कहीं हर ऊंचा मकान घर नहीं होता है।। ©Sourabh Tiwari"

 जो जगह ना दे पाए घोंसलों को वो शजर नहीं होता है,

ज़रा से तूफानों में टूट जाए जो वो पर नहीं होता है।

यूं ही नहीं मिलता सुकून का बसेरा हर कहीं

हर ऊंचा मकान घर नहीं होता है।।

©Sourabh Tiwari

जो जगह ना दे पाए घोंसलों को वो शजर नहीं होता है, ज़रा से तूफानों में टूट जाए जो वो पर नहीं होता है। यूं ही नहीं मिलता सुकून का बसेरा हर कहीं हर ऊंचा मकान घर नहीं होता है।। ©Sourabh Tiwari

#यादोंकापुलंदा #मेरी_अल्फ़ाज़_मेरी_कलम_से

#lightindark

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