दर्शनठाकुर
"एक प्रेम कहानी ऐसी भी "
न रहने को मकान शहर अनजान लोग बेगाने,
किसी से कुछ पूछो तो कहे भाई हम क्या जाने।
घर फोन किया तो पापा पूछे पहुंच गया ठिकाने,
अब वहां बसकर के तो दिखा तो तुझे हम माने।
चारों तरफ देखा मगर ऐसा कोई न था जो मुझे पहचाने,
फिर क्या था लम्बी सी सांस भरी लगा खुद को रिझाने।