White खेलकूद से भरी वह शाम लौट नहीं आती । होठों प | हिंदी कविता

"White खेलकूद से भरी वह शाम लौट नहीं आती । होठों पर अब वह बचपन वाली मुस्कान नहीं आती । गुजरे है, कितने लम्हे मगर पर अभी भी बचपन की यादों के बगैर सुकून की नींद नहीं आती..... ©Sudha Betageri"

 White खेलकूद से भरी वह शाम 
लौट नहीं आती ।
होठों पर  अब वह बचपन 
वाली मुस्कान नहीं आती ।
गुजरे है, कितने लम्हे मगर
 पर अभी भी बचपन की यादों के 
बगैर सुकून की नींद नहीं आती.....

©Sudha  Betageri

White खेलकूद से भरी वह शाम लौट नहीं आती । होठों पर अब वह बचपन वाली मुस्कान नहीं आती । गुजरे है, कितने लम्हे मगर पर अभी भी बचपन की यादों के बगैर सुकून की नींद नहीं आती..... ©Sudha Betageri

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