White आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई
ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई
दिन भी डूबा कि नहीं ये मुझे मालूम नहीं
जिस जगह बुझ गए आँखों के दिए रात हुई
कोई हसरत कोई अरमाँ कोई ख़्वाहिश ही न थी
ऐसे आलम में मिरी ख़ुद से मुलाक़ात हुई
इसी होनी को तो क़िस्मत का लिखा कहते हैं
जीतने का जहाँ मौक़ा था वहीं मात हुई
इस तरह गुज़रा है बचपन कि खिलौने न मिले
और जवानी में बुढ़ापे से मुलाक़ात हुई
मंज़र भोपाली
©Nilam Agarwalla
#मंजर_ भोपाली