"घड़ी की सुइयाँ आगे बढ़ती रही पर समय थम गया था... मेरी दीवानगी देख देख,
उसका मन भर गया था...
कुछ कहती मैं काश उस पल में अगर,
मुझे जिदंगी का मकसद मिल सा गया था।।"
घड़ी की सुइयाँ आगे बढ़ती रही पर समय थम गया था... मेरी दीवानगी देख देख,
उसका मन भर गया था...
कुछ कहती मैं काश उस पल में अगर,
मुझे जिदंगी का मकसद मिल सा गया था।।