आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं, कुछ | हिंदी विचार

"आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं, कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।"

 आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी
कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं,
कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं
कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।

आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं, कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।

True Life..

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