ज़ख़्म कितने तिरी चाहत से मिले हैं मुझ को

"ज़ख़्म कितने तिरी चाहत से मिले हैं मुझ को , सोचता हूँ कि कहूँ तुझ से मगर जाने दे , Ikku_Sid"

 ज़ख़्म  कितने  तिरी  चाहत  से  मिले  हैं  मुझ  को  , सोचता  हूँ  कि  कहूँ  तुझ  से  मगर  जाने  दे  ,
Ikku_Sid

ज़ख़्म कितने तिरी चाहत से मिले हैं मुझ को , सोचता हूँ कि कहूँ तुझ से मगर जाने दे , Ikku_Sid

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