सुनो तुम कागज बन जाओ मैं कलम की स्याही बन,तुम से ल | हिंदी कविता

"सुनो तुम कागज बन जाओ मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा। सजाऊंगा तुम्हे शब्द रूपी मोतियों से व्याकरण के अलंकार,तुम्हे उपहार लेके आऊंगा, सुनो तुम कागज बन जाओ मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा। कागज के बिना कलम की स्याही की वजूद नही होती, सुना है मोहब्बत हर जगह मौजूद नही होती दिलों में भाव होने चाहिए,किसी से इश्क होने के लिए तुम्हे मैं प्यार की मजधार में,साथ ले बह जाऊंगा सुनो तुम कागज बन जाओ मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा। - Utkarsh Pathak *Utpal* ... ©Utkarsh Pathak UTPAL"

 सुनो तुम कागज बन जाओ
मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा।
सजाऊंगा तुम्हे शब्द रूपी मोतियों से
व्याकरण के अलंकार,तुम्हे उपहार लेके आऊंगा,
सुनो तुम कागज बन जाओ
मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा।

कागज के बिना कलम की स्याही की वजूद नही होती,
सुना है मोहब्बत हर जगह मौजूद नही होती
दिलों में भाव होने चाहिए,किसी से इश्क होने के लिए
तुम्हे मैं प्यार की मजधार में,साथ ले  बह जाऊंगा
सुनो तुम कागज बन जाओ
मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा।
     - Utkarsh Pathak *Utpal*
























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©Utkarsh Pathak UTPAL

सुनो तुम कागज बन जाओ मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा। सजाऊंगा तुम्हे शब्द रूपी मोतियों से व्याकरण के अलंकार,तुम्हे उपहार लेके आऊंगा, सुनो तुम कागज बन जाओ मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा। कागज के बिना कलम की स्याही की वजूद नही होती, सुना है मोहब्बत हर जगह मौजूद नही होती दिलों में भाव होने चाहिए,किसी से इश्क होने के लिए तुम्हे मैं प्यार की मजधार में,साथ ले बह जाऊंगा सुनो तुम कागज बन जाओ मैं कलम की स्याही बन,तुम से लिपट कर उभरता जाऊंगा। - Utkarsh Pathak *Utpal* ... ©Utkarsh Pathak UTPAL

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