ग़ज़ल :-
यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है ।
बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१
गिरा जो आँख से पानी नहीं है ।
बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२
लगाओ खूब नारे हिंद के अब ।
यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३
जरा सा हौसला करके तो देखो ।
कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४
तुम्हीं से पूछने आये चले हम ।
हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५
चुनावी खेल चालू हो गये तो ।
दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६
लगे आरोप झूठे सैनिकों पे ।
हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७
अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस ।
प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८
१२/०३ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :-
यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है ।
बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१
गिरा जो आँख से पानी नहीं है ।
बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२