White कुण्डलियाँ
कंकर-कंकर में वही , शंकर जिनका नाम ।
देवों के वह देव हैं , घट-घट उनका धाम ।।
घट-घट उनका धाम , वही देखो अविनाशी ।
नगर बसाये एक , नाम जिसका है काशी ।।
करो अर्घ्य स्वीकार, कहाँ हो हे शिवशंकर ।
हम तो जाने आप , बसे हो कंकर-कंकर ।।
भोले बाबा आज तो , आओ घर मजदूर ।
खोज-खोज हम थक गये , हुए आज मजबूर ।।
हुए आज मजबूर , कहाँ हो बाबा नन्दी ।
तुम बतलाओ आज , सोच क्या अपनी गन्दी ।।
हम तो उनके भक्त , नाम शिव-शिव ही बोले ।
पर हमसे ही रूष्ट , छुपे बैठे हैं भोले ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलियाँ
कंकर-कंकर में वही , शंकर जिनका नाम ।
देवों के वह देव हैं , घट-घट उनका धाम ।।
घट-घट उनका धाम , वही देखो अविनाशी ।