भविष्य और भूत में ऐसे उलझा पड़ा है जैसे मेरे अंदर | हिंदी Shayari

"भविष्य और भूत में ऐसे उलझा पड़ा है जैसे मेरे अंदर बसा कोई दूसरा पड़ा है ©Vikas Dhaundiyal"

 भविष्य और भूत में ऐसे उलझा पड़ा है

जैसे मेरे अंदर बसा कोई दूसरा पड़ा है

©Vikas Dhaundiyal

भविष्य और भूत में ऐसे उलझा पड़ा है जैसे मेरे अंदर बसा कोई दूसरा पड़ा है ©Vikas Dhaundiyal

#Isolation

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