White लाखों का भीड़ था उस मेले मे
उसमें भी अकेली थी मैं
कोई चेहरा जाना पहचाना नहीं
कुछ को पहचान वो मेरे अपने नहीं
बहोत रोई नदी किनारे बैठ कर
अपने आंसू पोछ खुद को दिलासा भी दिया
पर फिर भीड़ कि तरफ देख निराशा हि मिला
अभी कुछ समय कि हि तो बात थी
हसता खेलता पूरा परिवार था मेरा
रूठते मनाते का सौगात था मेरा
इक बाढ़ ने छिन् लिया मेरा घर
अब ये अकेलापन हि पूरा परिवार है मेरा
समय लगेगा पर इससे भी उभर जाएँगे
समय के साथ कुछ नये रिश्ते बनाएंगे
लेकिन क्या ये नए रिश्ते पुराने वाले हि कहलायेंगे
©कलम की दुनिया
#अकेला