White लाखों का भीड़ था उस मेले मे उसमें भी अकेली थी | हिंदी Poetry Vide

"White लाखों का भीड़ था उस मेले मे उसमें भी अकेली थी मैं कोई चेहरा जाना पहचाना नहीं कुछ को पहचान वो मेरे अपने नहीं बहोत रोई नदी किनारे बैठ कर अपने आंसू पोछ खुद को दिलासा भी दिया पर फिर भीड़ कि तरफ देख निराशा हि मिला अभी कुछ समय कि हि तो बात थी हसता खेलता पूरा परिवार था मेरा रूठते मनाते का सौगात था मेरा इक बाढ़ ने छिन् लिया मेरा घर अब ये अकेलापन हि पूरा परिवार है मेरा समय लगेगा पर इससे भी उभर जाएँगे समय के साथ कुछ नये रिश्ते बनाएंगे लेकिन क्या ये नए रिश्ते पुराने वाले हि कहलायेंगे ©कलम की दुनिया "

White लाखों का भीड़ था उस मेले मे उसमें भी अकेली थी मैं कोई चेहरा जाना पहचाना नहीं कुछ को पहचान वो मेरे अपने नहीं बहोत रोई नदी किनारे बैठ कर अपने आंसू पोछ खुद को दिलासा भी दिया पर फिर भीड़ कि तरफ देख निराशा हि मिला अभी कुछ समय कि हि तो बात थी हसता खेलता पूरा परिवार था मेरा रूठते मनाते का सौगात था मेरा इक बाढ़ ने छिन् लिया मेरा घर अब ये अकेलापन हि पूरा परिवार है मेरा समय लगेगा पर इससे भी उभर जाएँगे समय के साथ कुछ नये रिश्ते बनाएंगे लेकिन क्या ये नए रिश्ते पुराने वाले हि कहलायेंगे ©कलम की दुनिया

#अकेला

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