बड़ी शिदत से चाहा जनाब उसको,प्यार कल भी था आज बेशू | हिंदी शायरी

"बड़ी शिदत से चाहा जनाब उसको,प्यार कल भी था आज बेशूमार है तभी तो जाते हूये कह गई कि, यू अश्क टपकाते हूये न रहना पगले बिखर जायेगा Hunter के लब काप रहै थे,बड़ी देर से बोल पाया गमो से तबीयत जब भी भरपूर होती है जब तू दूर होती है न अकेला छोड़ जा ये फकिर किधर जायेगा"

 बड़ी शिदत से चाहा जनाब उसको,प्यार कल भी था आज बेशूमार है तभी तो जाते हूये कह गई कि,
यू अश्क टपकाते हूये न रहना पगले बिखर जायेगा
Hunter के लब काप रहै थे,बड़ी देर से बोल पाया
गमो से तबीयत जब भी भरपूर होती है जब तू दूर होती है न अकेला छोड़ जा ये फकिर किधर जायेगा

बड़ी शिदत से चाहा जनाब उसको,प्यार कल भी था आज बेशूमार है तभी तो जाते हूये कह गई कि, यू अश्क टपकाते हूये न रहना पगले बिखर जायेगा Hunter के लब काप रहै थे,बड़ी देर से बोल पाया गमो से तबीयत जब भी भरपूर होती है जब तू दूर होती है न अकेला छोड़ जा ये फकिर किधर जायेगा

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