एक लड़की थी दीवानी सी
तितली के जैसे मस्तानी सी
जब चाँद देखती थी न वो
तब चाँद वो मुझको कहती थी
अदायें कुछ ऐसी थी उसकी कि
हमेशा मेरे ख्यालों में रहती थी
नदी खुला आसमा बाग बगीचे
ये सब कुछ उसको भाते थे
कहती थी वो ये चांद सितारे
सभी उससे मिलने आते थे
लेकिन दुनिया के सैर सपाटे से
वो बिल्कुल ही अनजानी थी
एक लड़की थी दीवानी सी
तितली के जैसे मस्तानी सी
©Gulshan Gulzar
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