मुकम्बल नहीं इश्क़ हर किसी की इबादत में मगर मुनास | हिंदी Shayari

"मुकम्बल नहीं इश्क़ हर किसी की इबादत में मगर मुनासिब दर्द फिर भी तू कम दिया कर नहीं मरता कोई भले ही दूर होकर किसी से फिर भी ख़ुदा तू किसी को किसी से जुदा मत किया कर।।। ©Tushar Gupta"

 मुकम्बल नहीं इश्क़
 हर किसी की इबादत में मगर

मुनासिब दर्द फिर भी तू कम दिया कर

नहीं मरता कोई भले ही दूर होकर किसी से

फिर भी ख़ुदा

तू किसी को किसी से जुदा मत किया कर।।।

©Tushar Gupta

मुकम्बल नहीं इश्क़ हर किसी की इबादत में मगर मुनासिब दर्द फिर भी तू कम दिया कर नहीं मरता कोई भले ही दूर होकर किसी से फिर भी ख़ुदा तू किसी को किसी से जुदा मत किया कर।।। ©Tushar Gupta

#इबादत

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