जागती निगाहों में एक सपना अभी सोया है, हाँ पर मन क | हिंदी कविता

"जागती निगाहों में एक सपना अभी सोया है, हाँ पर मन के एक कोने में हौसला अब भी बोया है, बस ठहरी हूँ अभी, न पथभ्रांत हूँ, अंदर शोर भरा है मेरे, पर बाहर अब शांत हूँ। -शाम्भवी। ©Shambhavi chandra"

 जागती निगाहों में एक सपना अभी सोया है,
हाँ पर मन के एक कोने में हौसला अब भी बोया है,
बस ठहरी हूँ अभी, न पथभ्रांत हूँ,
अंदर शोर भरा है मेरे, पर बाहर अब शांत हूँ।
-शाम्भवी।

©Shambhavi chandra

जागती निगाहों में एक सपना अभी सोया है, हाँ पर मन के एक कोने में हौसला अब भी बोया है, बस ठहरी हूँ अभी, न पथभ्रांत हूँ, अंदर शोर भरा है मेरे, पर बाहर अब शांत हूँ। -शाम्भवी। ©Shambhavi chandra

#Dreams

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