समंदर सा इश्क था मेरा, वो बहती लहर सी थी, मुकम्मल | English Shayari Vi

"समंदर सा इश्क था मेरा, वो बहती लहर सी थी, मुकम्मल होता ही नहीं इश्क मेरा, में गांव का बंजारा था, वो लड़की शहर की थी।। ©ᛕꪖ᥅ꪻ꠸ᛕ ᥴꫝꪖꪊᦔꫝꪖ᥅ꪗ "

समंदर सा इश्क था मेरा, वो बहती लहर सी थी, मुकम्मल होता ही नहीं इश्क मेरा, में गांव का बंजारा था, वो लड़की शहर की थी।। ©ᛕꪖ᥅ꪻ꠸ᛕ ᥴꫝꪖꪊᦔꫝꪖ᥅ꪗ

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