झिड़कना मत,झिड़कने से कोई अपना नहीं रहता, और झिड़क | English Shayari V

"झिड़कना मत,झिड़कने से कोई अपना नहीं रहता, और झिड़कियों में कोई हमसाया भी नहीं रहता है//१ जरदारो से मिलने में जरा तुम फासला रखना, जहां गागर मिले सागर में,वहा गागर नही रहता है//२ तेरा नगर तो,अंदाज ए हवस वाला है,मेरे गर में भी,अब कफस नही रहता है//३ वो अदु फिर मेरे जख्म को हरा करने का दावा करता है ,कह दो कोई उसे,मेरा मरहम अब तदबीर का मुदावा नही रखता है//४ इश्क इक महक है,जो पाकीजा रूह में बसता है, कोई बशर हिज्र में भी तन्हा नही रहता है//५ शमा का चिराग तो सोया है,शहर ए खामोशा में, मै ऐसी अजीब मां हुं,जिसका बेटा जिंदा नहीं रहता//६ shama writes beha ©shama writes Bebaak "

झिड़कना मत,झिड़कने से कोई अपना नहीं रहता, और झिड़कियों में कोई हमसाया भी नहीं रहता है//१ जरदारो से मिलने में जरा तुम फासला रखना, जहां गागर मिले सागर में,वहा गागर नही रहता है//२ तेरा नगर तो,अंदाज ए हवस वाला है,मेरे गर में भी,अब कफस नही रहता है//३ वो अदु फिर मेरे जख्म को हरा करने का दावा करता है ,कह दो कोई उसे,मेरा मरहम अब तदबीर का मुदावा नही रखता है//४ इश्क इक महक है,जो पाकीजा रूह में बसता है, कोई बशर हिज्र में भी तन्हा नही रहता है//५ शमा का चिराग तो सोया है,शहर ए खामोशा में, मै ऐसी अजीब मां हुं,जिसका बेटा जिंदा नहीं रहता//६ shama writes beha ©shama writes Bebaak

झिड़कना मत,झिड़कने से कोई अपना नहीं रहता,और झिड़कियों में कोई हमसाया भी नहीं रहता है//१

*जरदारो से मिलने में जरा तुम फासला रखना,जहां*गागर*सागर में मिले,वहा गागर नही रहता है/२*अमीर*छोटे जलाशय*समुद्र

तेरा नगर तो,अंदाज ए हवस वाला है,मेरे नगर में भी,अब *कफस नही रहता है//३*पिंजरा

वो*अदु फिर मेरे जख्म को हरा करने का दावा करता है,कह दो कोई उसे,मेरा मरहम अब*तदबीर का*मुदावा नही रखता है//४*दुश्मन*उपाय*अपील

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