मेरे दिल के जख्मों की वो मरहम है, मैं जो कोई सुर | हिंदी शायरी

"मेरे दिल के जख्मों की वो मरहम है, मैं जो कोई सुर छेड़ू तो वो सरगम है, मेरी जिंदगी जो कभी बदरंग बने तो वो सात रंग है, मैं जो गुमराह हूं तो वो उपवन है, ये कोन सी बंदिशें हैं जो मुझे उसका होने नहीं दे रहा, मैं जो नीरस हूं तो वो अनुपम है। ©Shivam Singh Rajput"

 मेरे दिल के जख्मों की वो मरहम है,

मैं जो कोई सुर छेड़ू तो वो सरगम है,

मेरी जिंदगी जो कभी बदरंग बने तो वो सात रंग है,

मैं जो गुमराह हूं तो वो उपवन है,

ये कोन सी बंदिशें हैं जो मुझे उसका होने नहीं दे रहा,

मैं जो नीरस हूं तो वो अनुपम है।

©Shivam Singh Rajput

मेरे दिल के जख्मों की वो मरहम है, मैं जो कोई सुर छेड़ू तो वो सरगम है, मेरी जिंदगी जो कभी बदरंग बने तो वो सात रंग है, मैं जो गुमराह हूं तो वो उपवन है, ये कोन सी बंदिशें हैं जो मुझे उसका होने नहीं दे रहा, मैं जो नीरस हूं तो वो अनुपम है। ©Shivam Singh Rajput

#Life #लव #Love
Beauty of my love..

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