मैं थक गई हूँ सुन रोज- रोज हिंदु और मुस्लिम के भेद को ,
देख रोज -रोज इन रेप के किस्सों को ।
भटका दिया हैं इन अखबार और tv की fake न्यूज़ ने ,
थका दिया हैं गलत और सही की इस बेबुनियादी रेस ने ।
कर्म से बढ़कर हैं धर्म इनको ,
इंसान से बढ़कर हैं सत्ता इनको ।
अमीरों को ये भगाते विदेश को ,
अपने नियम क़ानून से मारेंगे ये ग़रीब को ।