White क्यों व्यर्थ गवाता मानव तन, झूठे अभिमान के महलों पर।।
बनना है तो पारस पत्थर बन, लोहे को स्वर्ण बना डालों।।
या कट - कट कर कोहिनूर बन,
दुनियां को चमक दिखा डालो।।
या बनना है तो गांधी बन, बिन सुख सुविधा के आधी बन।
या छोड़ महल के वैभव को, गौतम बुद्ध जैसा ज्ञानी बन।।
©डॉ.अजय कुमार मिश्र
पत्थर