चाहत का समुन्द्र लिए चल रहें हैं। तेज हवाऐं, दामि | हिंदी Poetry Video

"चाहत का समुन्द्र लिए चल रहें हैं। तेज हवाऐं, दामिनी कंपन है, भंवर आतुर है, सांस थमी है, हर हाल चलुंगा, हारुंगा, न थकूंगा समय गवाह है, साथ दिया, उनका आसमानों ने, उम्मीद जगी, मेहनत न रुकी कर्म मे ध्यान दिया जिन ईंसानों ने। ©arvind bhanwra "

चाहत का समुन्द्र लिए चल रहें हैं। तेज हवाऐं, दामिनी कंपन है, भंवर आतुर है, सांस थमी है, हर हाल चलुंगा, हारुंगा, न थकूंगा समय गवाह है, साथ दिया, उनका आसमानों ने, उम्मीद जगी, मेहनत न रुकी कर्म मे ध्यान दिया जिन ईंसानों ने। ©arvind bhanwra

हौसला

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