White देखते देखते वो ज़माना बीत चुका है
जब उसे हमारी तलब होती थी
हम सब कुछ देख रहे थे
उसकी लापरवाही
उसका यू अनदेखा करना
हर रोज हम खुद की नजरों में
जलील हो रहे थे फिर भी उसे
अपनी याद वो प्रेम याद दिलाते रहे
जो प्रेम हर रोज वो शक्स भूलता जा
रहा था
फिर यू हुआ एक दिन हमने अपने ही
हाथो अपने प्रेम को जाने दिया
उस प्रेम पर मानो मेरा रत्ती
भर भी हक न हो कितना
कठिन था मेरे लिए ये सब
करना काश प्रेम में खुद को
डुबोया ही न होता तो आज मैं भी आजाद
पंछी की तरह खुले आसमान
में उड़ रही होती
काश प्रेम में पड़ी ही न होतीकाश
©Rishu singh
#emotional_sad_shayari देखते देखते वो ज़माना बीत चुका है
जब उसे हमारी तलब होती थी
हम सब कुछ देख रहे थे
उसकी लापरवाही
उसका यू अनदेखा करना
हर रोज हम खुद की नजरों में
जलील हो रहे थे फिर भी उसे
अपनी याद वो प्रेम याद दिलाते रहे