वस्ल की चाहत न थी फ़िर भी न जानें क्यूॅं ग़म-ए-हि | हिंदी Quotes Video

"वस्ल की चाहत न थी फ़िर भी न जानें क्यूॅं ग़म-ए-हिज्र से गुज़रते रहें हम। पोशीदा इस आतिश-ए-मोहब्बत में न जाने क्यूॅं ख़ामोशी से जलते रहें हम। ©Sh@kila Niy@z "

वस्ल की चाहत न थी फ़िर भी न जानें क्यूॅं ग़म-ए-हिज्र से गुज़रते रहें हम। पोशीदा इस आतिश-ए-मोहब्बत में न जाने क्यूॅं ख़ामोशी से जलते रहें हम। ©Sh@kila Niy@z

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