जज़्बातों की कलम से रुहानी कागज़ों पर लिखे हैं "खत | हिंदी शायरी

"जज़्बातों की कलम से रुहानी कागज़ों पर लिखे हैं "खत" तो क्या हुआ... गर नहीं हैं दस्तख़त समाज के , तो बिना पढ़े रद्दी में बेंच देगा वो... ©Anurag Yadav"

 जज़्बातों की कलम से रुहानी कागज़ों पर लिखे हैं "खत" तो क्या हुआ...


गर नहीं हैं दस्तख़त समाज के , तो बिना पढ़े रद्दी में बेंच देगा वो...

©Anurag Yadav

जज़्बातों की कलम से रुहानी कागज़ों पर लिखे हैं "खत" तो क्या हुआ... गर नहीं हैं दस्तख़त समाज के , तो बिना पढ़े रद्दी में बेंच देगा वो... ©Anurag Yadav

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