बहने दो लहू जख्मों से मेरे, मलहम मत लगाओ मेरे घाव | English Shayari Vi

"बहने दो लहू जख्मों से मेरे, मलहम मत लगाओ मेरे घाव को तुम घाव रहने दो। अपना बनाना फिर लूट लेना, बहुत देखे हैं ऐसे दाँव , मुझपर मत आज़माओ ये दाँव रहने दो।। मैं झेल लूँगा हँस के तुम्हारे हर दाँव, आँव और बाँव,, बस मेरे सर पर पिता का हाथ और मेरी माँ के आँचल की छाँव रहने दो।। बस मेरे सर पर पिता का हाथ और मेरी माँ के आँचल की छाँव रहने दो।। रिश्तों और सम्बन्धो को मत बेचो , विद्रोही अपने शहर के चौराहों पर , मुबारक़ हो तुमको तुम्हारे शहर की चकाचौंध , मेरे गाँव को शहर मत बनाओ बस मेरे गाँव को मेरा गाँव रहने दो ।। मेरे गाँव को शहर मत बनाओ बस मेरे गाँव को मेरा गाँव रहने दो ।।"

बहने दो लहू जख्मों से मेरे, मलहम मत लगाओ मेरे घाव को तुम घाव रहने दो। अपना बनाना फिर लूट लेना, बहुत देखे हैं ऐसे दाँव , मुझपर मत आज़माओ ये दाँव रहने दो।। मैं झेल लूँगा हँस के तुम्हारे हर दाँव, आँव और बाँव,, बस मेरे सर पर पिता का हाथ और मेरी माँ के आँचल की छाँव रहने दो।। बस मेरे सर पर पिता का हाथ और मेरी माँ के आँचल की छाँव रहने दो।। रिश्तों और सम्बन्धो को मत बेचो , विद्रोही अपने शहर के चौराहों पर , मुबारक़ हो तुमको तुम्हारे शहर की चकाचौंध , मेरे गाँव को शहर मत बनाओ बस मेरे गाँव को मेरा गाँव रहने दो ।। मेरे गाँव को शहर मत बनाओ बस मेरे गाँव को मेरा गाँव रहने दो ।।

बहने दो लहू जख्मों से मेरे,
मलहम मत लगाओ मेरे घाव को तुम घाव रहने दो।
अपना बनाना फिर लूट लेना,
बहुत देखे हैं ऐसे दाँव ,
मुझपर मत आज़माओ ये दाँव रहने दो।।
मैं झेल लूँगा हँस के
तुम्हारे हर दाँव, आँव और बाँव,,
बस मेरे सर पर पिता का हाथ और मेरी माँ के आँचल की छाँव रहने दो।।

People who shared love close

More like this

Trending Topic