पलटा पलटी ....…....................... चवन्नी पलट | हिंदी कविता

"पलटा पलटी ....…....................... चवन्नी पलटती तो है मगर उसकी कुछ कीमत होती है... नेता पलटता है तो वो सिर्फ पलटता ही नहीं खुद को लोगों की नजरों से भी गिरा लेता है लोगों की आशाओं को अचानक जमीन में सौ गज नीचे गाड़ देता है... क्या मजबूरी है? जो आजकल नेता ही नहीं उनके आचार विचार भी रातों रात पलट जाते हैं जनता के प्रति जिम्मेदारी भूल जाते हैं जिनके वोट लेकर जीतते हैं उन्हीं को धोखा दे देते हैं... नेता बेशर्म होकर खुद को पलट कर मंच पर पटका पहनकर दांत निपोरता है सब राष्ट्र की खातिर उसकी इमानदार कोशिश है ऐसा कहता है कुछ तो मजबूरी है जनता का क्या वो तो बेचारी है... रातों रात पलट कर भ्रष्ट भी बन जा रहे इमानदार कह रहे करेंगे इमानदारी से देश की सेवा और रखवाली पता नहीं कौन सी ऐसी वाशिंग मशीन है निराली... @वीएस दीक्षित ©vs dixit "

पलटा पलटी ....…....................... चवन्नी पलटती तो है मगर उसकी कुछ कीमत होती है... नेता पलटता है तो वो सिर्फ पलटता ही नहीं खुद को लोगों की नजरों से भी गिरा लेता है लोगों की आशाओं को अचानक जमीन में सौ गज नीचे गाड़ देता है... क्या मजबूरी है? जो आजकल नेता ही नहीं उनके आचार विचार भी रातों रात पलट जाते हैं जनता के प्रति जिम्मेदारी भूल जाते हैं जिनके वोट लेकर जीतते हैं उन्हीं को धोखा दे देते हैं... नेता बेशर्म होकर खुद को पलट कर मंच पर पटका पहनकर दांत निपोरता है सब राष्ट्र की खातिर उसकी इमानदार कोशिश है ऐसा कहता है कुछ तो मजबूरी है जनता का क्या वो तो बेचारी है... रातों रात पलट कर भ्रष्ट भी बन जा रहे इमानदार कह रहे करेंगे इमानदारी से देश की सेवा और रखवाली पता नहीं कौन सी ऐसी वाशिंग मशीन है निराली... @वीएस दीक्षित ©vs dixit

#पलटापलटी

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