White एक छोटी चिड़िया आ बैठी बालकनी मे
दिख रही थी कुछ उदास
मानो कहना चाहती हो
कोई काम है तुम्हारे पास
बदले मे तुमको मे रोज
चीं-चीं करके उठा दूँगी
पंखो की कलाबाजी से
होंठो पर मुस्कराहट ला दूँगी
कुछ तुमसे बतिया कर
मन को भी बहला दूँगी
पर तुम बालकनी मे लगे पाइप मे
रहने की थोडी सी जगह दे दो
हो सके तो दाना-पानी भी
रख देना वही आस-पास
शहर की इस भीड मे
हमारा नही ठिकाना खास
पेड अब कम हो गए
जंगल भी अब कट गए
गर्मी से पसीने छुंट गए
इसीलिए आई तुम्हारे पास
क्या समझ सकती हो हमारी बात
क्या बचा सकती हो हमारे प्राण
क्या प्रकृति को बचाने मे
तुम दोगी हमारा साथ
इक नन्ही सी चिडिया की
सुनकर दुखभरी दास्तान
मन मे क्रोंधा एक विचार
काश!सब मिलजुल कर
घरो के बीच बनाए एक पार्क
और वही बसाए चिडियो का घर-संसार
©vineetapanchal
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