तुम्हारी आंखों के नूर से ही,
मैं अपना काजल लगाती हूं !
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान से,
मै सुर्ख लबों की लाली बनाती हूं !
तुम्हारी शख्सियत के दर्पण में
मैं खुद को निहारती हूं !
एक झलक जो तुम देखो मुझे,
मैं अप्सरा-सी खूबसूरत हो जाती हूं !
इश्क मेरा तुमसे है और तुम्हीं पूछते हो,
मैं किस से मोहब्बत करती हूं ?
ममता गहलोत
इश्क मेरा तुमसे है और तुम्हीं पूछते हो,
मैं किस से मोहब्बत करती हूं ?
अब कैसे बताऊं कि,
तुम्हारी खुशबू से ही मैं महकती हूं !
तुम ही मेरे आफताब और मेहताब,
तुम्हारे लिए ही मै सजती सवरती हूं !
जो ना देखूं कभी तुम्हें तो