जो खुद हो खड़ा बीच मजधार में.... वो क्या किसी की क | हिंदी विचार

"जो खुद हो खड़ा बीच मजधार में.... वो क्या किसी की कस्ती को पार करायेगा। जो न जनता हो नाव खेना.... वो क्या किसी को नदी पार करायेगा । जिसे खुद के मंजिल का ना हो पता .... वो क्या किसी को रास्ता दिखाएगा । जो खुद काटें बन खड़ा हो..... रंग बिरंगे खिले मुस्कुराते फूलों के बीच में... वो क्या किसी को खूबसूरत फूल बनाना सिखाएगा। जिसे नही पता किस रास्ते जाना है ... जिसे नही पता कौन सा मंजिल पाना है। जो न जाने किस बात की सजा पा रहा है.... वो ना जाने जिंदगी का कौन सा कर्ज चुका रहा है। जो मंजिलों के रास्ते अभी भी ढूंढ रहा है... किस रास्ते जाए अभी भी सोच रहा है । सब आगे निकल गए ..... बस उसकी कहानी ही रुकी हैं। ना जाने किस कहानी का वो किरदार है , जिसके जिंदगी के किताब में सिर्फ कुछ पन्ने है । किसे सुनाएं अपनी वो अनसुनी अधूरी कहानी ... किस कहानी को वो बार बार लिखकर मिटा देता है। जो भूल चुका है जीना..... वो क्या किसी को जीना सिखाएगा । कोई तो सुने उसका दिल क्या चाहता है । कोई तो बिना सुनाए उसे समझ जाए । उसकी गलती नही है , कोई तो उसे बतलाए , कोई तो गले लगा कर , उसे उसके सपनों के बारे में याद दिलाए । कोई तो उसे अकेले न होने का एहसास कराए। saumya.... ©saumya"

 जो खुद हो खड़ा बीच मजधार में....
वो क्या किसी की कस्ती को पार करायेगा।
जो न जनता हो नाव खेना....
वो क्या किसी को नदी पार करायेगा ।
जिसे खुद के मंजिल का ना हो पता ....
वो क्या किसी को रास्ता दिखाएगा ।
जो खुद काटें बन खड़ा हो.....
रंग बिरंगे खिले मुस्कुराते फूलों के बीच में...
वो क्या किसी को खूबसूरत फूल बनाना  सिखाएगा। 
जिसे नही पता किस रास्ते जाना है ...
जिसे नही पता कौन सा मंजिल पाना है।
जो न जाने किस बात की सजा पा रहा है.... 
वो ना जाने जिंदगी का कौन सा कर्ज चुका रहा है।
जो मंजिलों के रास्ते अभी भी ढूंढ रहा है...
किस रास्ते जाए अभी भी सोच रहा है ।
सब आगे निकल गए .....
बस उसकी कहानी ही रुकी हैं।
ना जाने किस कहानी का वो किरदार है ,
जिसके जिंदगी के किताब में सिर्फ कुछ पन्ने है ।
किसे सुनाएं अपनी वो अनसुनी अधूरी कहानी ...
किस कहानी को वो बार बार लिखकर मिटा देता है।

जो भूल चुका है जीना.....
वो क्या किसी को जीना सिखाएगा ।
कोई तो सुने उसका दिल क्या चाहता है ।
कोई तो बिना सुनाए उसे समझ जाए ।
उसकी गलती नही है ,
कोई तो उसे बतलाए ,
कोई तो गले लगा कर ,
उसे उसके सपनों के बारे में याद दिलाए ।
कोई तो उसे  अकेले न होने का एहसास कराए।
saumya....

©saumya

जो खुद हो खड़ा बीच मजधार में.... वो क्या किसी की कस्ती को पार करायेगा। जो न जनता हो नाव खेना.... वो क्या किसी को नदी पार करायेगा । जिसे खुद के मंजिल का ना हो पता .... वो क्या किसी को रास्ता दिखाएगा । जो खुद काटें बन खड़ा हो..... रंग बिरंगे खिले मुस्कुराते फूलों के बीच में... वो क्या किसी को खूबसूरत फूल बनाना सिखाएगा। जिसे नही पता किस रास्ते जाना है ... जिसे नही पता कौन सा मंजिल पाना है। जो न जाने किस बात की सजा पा रहा है.... वो ना जाने जिंदगी का कौन सा कर्ज चुका रहा है। जो मंजिलों के रास्ते अभी भी ढूंढ रहा है... किस रास्ते जाए अभी भी सोच रहा है । सब आगे निकल गए ..... बस उसकी कहानी ही रुकी हैं। ना जाने किस कहानी का वो किरदार है , जिसके जिंदगी के किताब में सिर्फ कुछ पन्ने है । किसे सुनाएं अपनी वो अनसुनी अधूरी कहानी ... किस कहानी को वो बार बार लिखकर मिटा देता है। जो भूल चुका है जीना..... वो क्या किसी को जीना सिखाएगा । कोई तो सुने उसका दिल क्या चाहता है । कोई तो बिना सुनाए उसे समझ जाए । उसकी गलती नही है , कोई तो उसे बतलाए , कोई तो गले लगा कर , उसे उसके सपनों के बारे में याद दिलाए । कोई तो उसे अकेले न होने का एहसास कराए। saumya.... ©saumya

#alone #Fight #Broken #thought

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