खफा हो ज़ाते है अक्सर मुझसे लोग,
तुमसे मेरी बढ़ती नजदीकियाँ देखकर ...
ज़िन्हे भी लगता हैँ मैं सिर्फ अपनी कहती हुँ ,
वो इन किताबो से पुछे ,
मैं अक्षर तो क्या ,
कौमा , पुरनविराम , हर एक हल्फ तथा
दो शब्दो, दो वाक्यो , दो कहानियों
के बीच खाली पड़े पन्ने की भी सुनती हुँ ....
©Monika Suman
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