रेत सी कोशिशें, फिसल रही थी हाथों से न जाने क्यों | हिंदी शायरी Video

"रेत सी कोशिशें, फिसल रही थी हाथों से न जाने क्यों वो ,खेल रही थी जज़्बातों से सुना था दिल का आंगन ,आबाद मगर सन्नाटों से कहीं दिल बिखर न जाए, दिल के इन हालातों से रेत सी कोशिशें, फिसल रही थी हाथों से 😕"

रेत सी कोशिशें, फिसल रही थी हाथों से न जाने क्यों वो ,खेल रही थी जज़्बातों से सुना था दिल का आंगन ,आबाद मगर सन्नाटों से कहीं दिल बिखर न जाए, दिल के इन हालातों से रेत सी कोशिशें, फिसल रही थी हाथों से 😕

रेत सी कोशिशें
#पारस #जज़्बात #आंगन #दिल #सन्नाटे

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