एक ताज़ा ग़ज़ल के ६ शेर आप सबकी नज़र:- खोये खोये रहते | हिंदी Poetry

"एक ताज़ा ग़ज़ल के ६ शेर आप सबकी नज़र:- खोये खोये रहते हो जनाब किसलिए ? सीने में सिसकती हैं किताब किसलिए ?? हैं जब खाली हाथ हमको रुखसत होना, तो बहीखाते,दौलत का हिसाब किसलिए ?? दो मुट्ठी धुल तू तो दो मुट्ठी राख मैं भी हूँ, तो ये अकड ये चेहरे पर रुबाब किसलिए ?? कल तक कुचे* से गुजरना भी गंवारा नही, आज होठो पर तबस्सुम,आदाब किसलिए?? आज जिस पर नाज़ वो किसी गैर का होगा, ये आलिशान कोठी इतना असबाब किसलिए?? फानी को छोड़ देना रूद्र नाफानी तलाश कर, पहने बैठा दुनिया का झूठा नकाब किसलिए ?? :- प्रशांत व्यास "रूद्र" © 25/09/2015"

 एक ताज़ा ग़ज़ल के ६ शेर आप सबकी नज़र:-

खोये खोये रहते हो जनाब किसलिए ?
सीने में सिसकती हैं किताब किसलिए ??

हैं जब खाली हाथ हमको रुखसत होना,
तो बहीखाते,दौलत का हिसाब किसलिए ??

दो मुट्ठी धुल तू तो दो मुट्ठी राख मैं भी हूँ,
तो ये अकड ये चेहरे पर रुबाब किसलिए ??

कल तक कुचे* से गुजरना भी गंवारा नही,
आज होठो पर तबस्सुम,आदाब किसलिए??

आज जिस पर नाज़ वो किसी गैर का होगा,
ये आलिशान कोठी इतना असबाब किसलिए??

फानी को छोड़ देना रूद्र नाफानी तलाश कर,
पहने बैठा दुनिया का झूठा नकाब किसलिए ??

:- प्रशांत व्यास "रूद्र" ©
     25/09/2015

एक ताज़ा ग़ज़ल के ६ शेर आप सबकी नज़र:- खोये खोये रहते हो जनाब किसलिए ? सीने में सिसकती हैं किताब किसलिए ?? हैं जब खाली हाथ हमको रुखसत होना, तो बहीखाते,दौलत का हिसाब किसलिए ?? दो मुट्ठी धुल तू तो दो मुट्ठी राख मैं भी हूँ, तो ये अकड ये चेहरे पर रुबाब किसलिए ?? कल तक कुचे* से गुजरना भी गंवारा नही, आज होठो पर तबस्सुम,आदाब किसलिए?? आज जिस पर नाज़ वो किसी गैर का होगा, ये आलिशान कोठी इतना असबाब किसलिए?? फानी को छोड़ देना रूद्र नाफानी तलाश कर, पहने बैठा दुनिया का झूठा नकाब किसलिए ?? :- प्रशांत व्यास "रूद्र" © 25/09/2015

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