White एक अंजान शहर का सफ़र, और अजनबी लोगों के बीच का कुछ अपना पन सुनहरे ख़्वाब सा...
दोपहर की बढ़ती तपिश भी कुछ कम ना थी, नादान उम्र की धड़कती सांसों सी...
कुछ खोने का डर ना था अंजान मुसाफ़िरों के बीच,
बस मैं चलता जा रहा, दिल की धड़कनों के साथ साथ
©मन
#sad_shayari अंजान शहर