आज हमनें डर से मुलाकात कर ली।
उसके दर पे या आंखो में आंखो डाल बात कर ली।
यूंही बैठे थे सहमे से,
आज दरिया से ही खुद के लिए गुजारिश करली।
बात तो कोई बड़ी नही थी,
कुछ इतने भी डरावने हालात ना थे,
ना जाने क्यों बेवजह अनमोल घडिया बर्बाद कर ली।
©Ramnik
#डर से आजादी#